यांत्रिक कत्लखानो में किस निर्ममता से गोवंश की हत्या होती है, भारत सरकार द्वारा सहायता प्राप्त |
* भारत में 4000 से भी अधिक कत्लखाने है जो भारत सरकार की स्वीकृति से चल रहे है ,जिनमे 10 बड़े यांत्रिक कारखाने है ,जिनमे प्रतिदिन 300000 पशुधन कटता है और लगभग 50,000 गोवंश कटता है |
* इनमे "अलकबीर " हैदराबाद प्राइवेट सेक्टर तःथा "देवनार " कत्लखाना बम्बई , महाराष्ट्र सार्वजनिक सेक्टर के महत्वपूर्ण कारखाने है |
अलकबीर कारखाने का दृश्य :-
जिला मेंढक, हैदराबाद स्थित
दुबई के गुलाम मोहम्मद शेख ने भारत`सरकार की 400 करोड़ की सहायता से स्थापित किया है जोकि 300 एकड़ में फैला हुआ है |
रोजाना 10,००० के लगभग गोवंश निर्ममता पूर्वक काटा जाता है |
⧭वध करने की विधि :- 1000 पशु रह सके ऐसे मोत के कुएं बने हुए है ,इनमे 4 दिन तक गोवंश को भूखा रखा जाता है ,जिससे की वो अशक्त होकर गिर पड़े |
*गिरने पर निर्ममता से घिसटते हुए मशीन के पास लाया जाता है | पीट -पीट कर खड़ा किया जाता है | मशीन की एक पुलि पशु को पीछे से जकड लेती है | उसके बाद 200डिग्री सेल्सियस का गर्म पानी लगातार 5 मिनट तक चलाया जाता है | इसे hot water treatment कहते है ,इसका उद्देश्य यह है की खून का हीमोग्लोबिन पिघलकर मांस में मिल जाये और उसे लाल कर दे , क्योकि लाल मांस की कीमत अधिक होती है जो की अमेरिका के सफेद मांस से अधिकहोती है | दुबई में अमीरकण मांस 14 रियाल यानि 120 रुपए किलो है | भारतीय मांस 30 -32 रियाल यानि 240 रुपए किलो है |
*उसके बाद मशीन पशु को पीछे से उठाती है और लटका दिया जाता है फिर उसकी आधी गर्दन काट दी जाती है ताकि खून बाहर आ जाये और पशु मरे नहीं , उसमे अंदर हवा भी देते है क्योंकी पशु के मरने पर चमड़ा सख्त हो जाता इसलिए जिन्दा रखकर उसका पतला चमड़ा उतर लिया जाता है , चमडा उतरने के बाद उसके धड़ ,गर्दन , हाथ , पैर , इत्यादि को अंग भंग कर देते है तत्काल मांस के डिब्बे बनकर बहार आने लगते जिन्हे शीतकालिक डिब्बों में भर कर विदेश भेज दिया जाता है |
*10000 लीटर खून प्रतिदिनं एकत्रित होता है जिससे प्लाज्मा।,प्रोटीन ,हीमोग्लोबिन के टॉनिक बनाये जाते है | खासतोर पर गर्भवती महिलाओ को दिया जाने वाला डेक्सोरेंज |
* एक गाय पर लगभग 4000 रुपए का लाभ चमडा , हड्डी,मांस ,खून ,चर्बी इत्यादि की बिक्री से होता है|
@blogger- vikash sharma
* भारत में 4000 से भी अधिक कत्लखाने है जो भारत सरकार की स्वीकृति से चल रहे है ,जिनमे 10 बड़े यांत्रिक कारखाने है ,जिनमे प्रतिदिन 300000 पशुधन कटता है और लगभग 50,000 गोवंश कटता है |
* इनमे "अलकबीर " हैदराबाद प्राइवेट सेक्टर तःथा "देवनार " कत्लखाना बम्बई , महाराष्ट्र सार्वजनिक सेक्टर के महत्वपूर्ण कारखाने है |
अलकबीर कारखाने का दृश्य :-
जिला मेंढक, हैदराबाद स्थित
दुबई के गुलाम मोहम्मद शेख ने भारत`सरकार की 400 करोड़ की सहायता से स्थापित किया है जोकि 300 एकड़ में फैला हुआ है |
रोजाना 10,००० के लगभग गोवंश निर्ममता पूर्वक काटा जाता है |
⧭वध करने की विधि :- 1000 पशु रह सके ऐसे मोत के कुएं बने हुए है ,इनमे 4 दिन तक गोवंश को भूखा रखा जाता है ,जिससे की वो अशक्त होकर गिर पड़े |
*गिरने पर निर्ममता से घिसटते हुए मशीन के पास लाया जाता है | पीट -पीट कर खड़ा किया जाता है | मशीन की एक पुलि पशु को पीछे से जकड लेती है | उसके बाद 200डिग्री सेल्सियस का गर्म पानी लगातार 5 मिनट तक चलाया जाता है | इसे hot water treatment कहते है ,इसका उद्देश्य यह है की खून का हीमोग्लोबिन पिघलकर मांस में मिल जाये और उसे लाल कर दे , क्योकि लाल मांस की कीमत अधिक होती है जो की अमेरिका के सफेद मांस से अधिकहोती है | दुबई में अमीरकण मांस 14 रियाल यानि 120 रुपए किलो है | भारतीय मांस 30 -32 रियाल यानि 240 रुपए किलो है |
*उसके बाद मशीन पशु को पीछे से उठाती है और लटका दिया जाता है फिर उसकी आधी गर्दन काट दी जाती है ताकि खून बाहर आ जाये और पशु मरे नहीं , उसमे अंदर हवा भी देते है क्योंकी पशु के मरने पर चमड़ा सख्त हो जाता इसलिए जिन्दा रखकर उसका पतला चमड़ा उतर लिया जाता है , चमडा उतरने के बाद उसके धड़ ,गर्दन , हाथ , पैर , इत्यादि को अंग भंग कर देते है तत्काल मांस के डिब्बे बनकर बहार आने लगते जिन्हे शीतकालिक डिब्बों में भर कर विदेश भेज दिया जाता है |
*10000 लीटर खून प्रतिदिनं एकत्रित होता है जिससे प्लाज्मा।,प्रोटीन ,हीमोग्लोबिन के टॉनिक बनाये जाते है | खासतोर पर गर्भवती महिलाओ को दिया जाने वाला डेक्सोरेंज |
* एक गाय पर लगभग 4000 रुपए का लाभ चमडा , हड्डी,मांस ,खून ,चर्बी इत्यादि की बिक्री से होता है|
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