Friday, 1 November 2019

प्रदूषण एक समस्या , जो भारत मे राजनीतिक तर्को का आखाडा बन चुका है । 





अभी हाल ही मे प्रकाश का पर्व यानि दीपावली का त्योहार आया था जिसमे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक आदेश पारित किया गया जिसमे उन्होने स्पष्ट लिखा की इस बार कोई भी पटाखे नहीं चलाएगा , यदि चलाने है तो ग्रीन पटाखे चलाये , तथा पटाखे की ध्वनि व्यक्ति की सुनने की क्षमता से अधिक नहीं होनी चाइए , लेकिन आदेशो का पालन शायद ही किसी ने किया उल्टा इसके विपरीत व्हाट्सेप व फेसबूक यूनिवर्सिटी द्वारा तरह तरह की दलीले दी गयी, ओर दीपावली के बाद धुंध ओर आंखो मे जलन के परिणाम आप के सामने थे , लेकिन  यहाँ सिर्फ पटाखों के धुए को ही इसका एक कारण नहीं माना जा सकता है , वायु प्रदूषण मे जहां इसका योगदान 10%हे  वही दूसरा कारण किसानो द्वारा पारली जलाने का है । ओर इन सबसे ज्यादा बड़ा कारण है राजनीतिक इक्षा शक्ति का अभाव होना क्योकि सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण उधयोगों से होता है, विभिन्न प्रकार के रसायन वायु मे छोड़े जाते है जोकि स्वास नाली द्वारा हमारे फेफड़ो मे पहुँच कर हमारी जीवन प्रत्याशा को कम करते है , तथा ज़्यादातर लोग कम उम्र मे मर जाते है । 
अभी हालिया एक रिपोर्ट आई है जिसमे 1998 से लेकर 2016 तक वायु  की गुणवत्ता के उपर एक शोध किया गया है , जिसमे बताया गया है की पूरे भारत के मुक़ाबले उत्तर भारत ( बिहार ,गुजरात ,चंडीगढ़,उतराखंड ,उत्तर प्रदेश ,दिल्ली , राजस्थान ,हिमाचल ,इत्यादि ) मे सबसे ज्यादा प्रदूषण है ओर इन एसबीमे दिल्ली को सर्वाधिक प्रदूषित  बताया गया है , देश की लगभग 40% जनसंख्या उत्तर भारत या गंगा किनारे वास करती है । 
the energy policy institute at university of chicago की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण 2016 तक 72% तक बढ़ गया है , जिसके चलते इन लोगो की जीवन जीने की दर मे से 7 साल कां हों गए , अर्थात जहां व्यक्ति 55 या 60 का होकर मरता है , इस प्रदूषण की वजह से अब वो 48 ओर 53 तक ही बमुश्किल पहुँच पाएगा । 
लेकिन यदि भारत सरकार "राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के लक्ष्यो को हासिल कर लेती है तो लोगो के औसत जीवन मे 1.3 साल की बढ़ोत्तरी हों जाएगी , लेकिन सरकार ऐसा कोई प्रयास करता दिख नहीं रही ह। 
पर्यावरण को बचाने के लिए NGT ही यदा कदा कोई आदेश जारी करती है लेकिन उससे भी लोग बचने का रास्ता ढूंढ लेते है, वर्तमान दौर मे राजनीति का आधार इतना नीचा हों ज्ञ है की उन्हे सिर्फ एक दूसरे का विरोध करना है चाहे वो योजना सतत विकाश के लिए लायी हों । माननीय प्रधान मंत्री जी के स्वच्छ भारत अभियान की यहाँ सराहना करना चाहेंगे ली उन्होने पूरे देश को एक सूत्र मे पिरोया , हमे आशा है की वो पर्यावरण के मुद्दे पीआर भी इसी तरह  ज़ोर देकर एक विशव्यापी अभियान चलाएं क्योकि सिर्फ भाषण देने से ही स्थिति नियंत्रण मे नहीं आएगी इसके लिए शीर्ष पर बैठे लोगो ओर आम जनता को साथ मिलकर वायु प्रदूषण के खिलाफ आवाज उथनी होगी , हमे खुद यह प्राण लेना होगा की हमे अपनी भवन निर्माण सामग्री खुले मे नहीं रखनी है। 
कचरा को जलाने की बजाय उसे इकट्ठा करके सीधा डम्पिंग ग्राउंड मे डालना है । नगर पालिका या निगम को कुढ़े के छटनी करण की व्यवस्था करनी होगी । वे उद्योग जो ज्यादा वायु प्रदूषण फैलाते है उन्हे सप्ताह मे 3 दिन बंद रखना होगा । ओर जो भी व्यक्ति या संस्था चाहे वो सरकारी हों या गैर सरकरी , प्रदूषण करती हुई मिलती है

 तो उस पर भारी भरकम जुर्माना तथा उसके संबन्धित अधिकारी या पदाधिकारी को कारावास की सजा होनी चाहिए। 

   

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