Monday, 7 May 2018

आखिर इस बात की जरूरत ही क्यों पड़ी जबकि आप वर्तमान में सत्ताधारी मंत्री हैं , और न जाने कितने वरिष्ठत पदों पर विराजमान  रहे हैं  , मान रहें है आप के पास काफी धनबल है जिसके रसूख पर सरकार पर आप अपनी छवि छोड़ते है , लेकिन माननीय मंत्री महोदय आप के विगत कार्य भी ठीक नहीं रहे है , आप ने उसी जनता को उपेक्षित कर  दिया जिसने आप को सिरमौर बनाया | और आप आप बात कहते है संवाद की अबसे पहले कहाँ  थे आप श्रीमान , "मेने अक्सर देखा था की चुनाव जितने के बाद अक्सर सत्ताधारी पार्टी  अपने विरोधीयो  पर कार्यवाही करती है तो मुझे लगा शायद बीजेपी में ऐसी कोई बात नही होगी , इसलिए पिछली लोकसभा चुनाव में पुरे परिवार के साथ वोट डालने गया लेकिन मुझको अंदाजा नहीं था की मेने दुमही के मुँह पर पैर  रख दिया है , आखिरकर आपने भी ववहि किया जो इस देश में होता आया है , दादरी के ग्रेटर नॉएडा में कांग्रेस के बड़े नेता की नातिन की एक कम्पनी मोजरबियर है जिसके कुछ प्लांट्स को आपने बंद करवा दिया और उन् ३००० कर्मचारीयो  का भविष्य अंधकार में डुबो दिया 70000  कमाने वाले व्यक्ति को तुम लोगो की गन्दी राजनीती ने कही का नहीं छोड़ा , इस क्षेत्र के माननीय  विधायक जी जिन्होंने बड़े जोर शोर से कहा  की हम 15  तारिक को कम्पनी की तालाबंदी  खुलवा देंगे वो भी हवा हवाई सावित हुए , कभी कहते हो की फाइल शर्म मंत्री के पास पड़ी है कभी कही , अरे शर्म मंत्री भी तो आप का है , शर आणि चाइये आप जैसे लोगो को , आप बिजनेस मेन  अच्छे हो इसमें कोई दोराय नहीं है और उसी का दम  है जो बोल रहा है | जनता सब जानती है , तुम्हारे विधायक बोलते है की हम देखे हमारे होते हुए किसने कैसे काम करवा लेगा , या फ्ला व्यक्ति इसका श्रेय ले लेगा , समझ नहीं आता आप लोग इस पद पर बैठ कर  बचकानी बातें करते हो | आज आप आपसी संवाद की बात करते हो , अरे सर आपसी संवाद की जरूरत न पड़ती यदि आप घर गिर मेहमान यानि जनता जनार्दन की कुछ सुन लेते और रही सही कस्र आप के ये चाटुकार पूरी कर  देते है जो दलीले देते है कि  मंत्री जी व्यस्त रहते है बिजनेस इत्यादि के सिलसिले में | 
  सच कहें तो लोगो का उल्लू बनाया गया है , पार्टी कोई गलत नहीं होती , लोगो से पार्टी बनती है पार्टी से लोग नहीं , लेकिन कुछ लोगो ने इसे धंधा बना दिया जिसे आज यदि गोरख धंधा कहेंगे तो बुरा नहीं होगा | 

शर्म्म अति है आप लोगो की मानसिकता देख कर जो लोग आप के विरोधी होतें है उन्हें आप तरह तरह के भय दिखते है जैसे उनके पुराने केस री -ओपन करके , उन्हें झूठी  टेक्स कार्यवाही का डर  दिखा  कर  और न जाने कितने तरिके आप जैसे लोगो के पास इस जनता को पागल, भृमित  व् बेबकूफ  बनाने के और जनता है भी पागल जो आप जैसे लोगो के चंगुल में आ जाती है | 




अपने वोट का मूल्य तोलो फिर उसे उन लोगो की कसौटी पर तोलो |  उनके पिछले कार्य व् जनता के हित में किये गए कार्यो को देखे फिर अपना वोट करें | आप का वोट आप की समझदारी वरना  पांच  साल तक झेलो इसकी बीमारी | 




जय हिन्द ,वन्दे मातरम , इंकलाब जिंदाबाद | 

Monday, 30 April 2018

8. The Group of Frogs (Encouragement)

The Group of Frogs (Inspirational Short Stories)
As a group of frogs were traveling through the woods, two of them fell into a deep pit. When the other frogs crowded around the pit and saw how deep it was, they told the two frogs that they’re was no hope left for them.
However, the two frogs decided to ignore what the others were saying and they proceeded to try and jump out of the pit. Despite their efforts, the group of frogs at the top of he pit were still saying that they should just give up. That they would never make it out.
Eventually, one of the frogs took heed to what the others were saying and he gave up, falling down to his death. The other frog continued to jump as hard as he could. Again, the crowd of frogs yelled at him to stop the pain and just die.
He jumped even harder and finally made it out. When he got out, the other frogs said, “Did you not hear us?”
The frog explained to them that he was deaf. He thought they were encouraging him the entire time.
Moral of the story: People’s words can have a big effect on other’s lives. Think about what you say before it comes out of your mouth. It might just be the difference between life and death.

Friday, 27 April 2018

यांत्रिक कत्लखानो में किस निर्ममता से गोवंश की हत्या होती है, भारत सरकार द्वारा सहायता प्राप्त | 
* भारत में 4000 से भी अधिक कत्लखाने है जो भारत सरकार  की  स्वीकृति से चल रहे है ,जिनमे 10 बड़े यांत्रिक कारखाने है ,जिनमे प्रतिदिन 300000  पशुधन कटता है और लगभग 50,000 गोवंश कटता है | 
* इनमे "अलकबीर " हैदराबाद प्राइवेट सेक्टर तःथा "देवनार " कत्लखाना बम्बई , महाराष्ट्र सार्वजनिक सेक्टर के महत्वपूर्ण कारखाने है | 

अलकबीर कारखाने का दृश्य :-
जिला मेंढक, हैदराबाद स्थित 
दुबई के गुलाम मोहम्मद शेख ने भारत`सरकार की 400 करोड़ की सहायता से स्थापित किया है जोकि 300 एकड़  में फैला हुआ है | 
रोजाना 10,००० के लगभग गोवंश निर्ममता पूर्वक काटा जाता है | 

⧭वध करने की विधि :- 1000 पशु रह सके ऐसे मोत के कुएं बने हुए है ,इनमे 4 दिन तक गोवंश को भूखा रखा जाता है ,जिससे की वो अशक्त होकर गिर पड़े | 
*गिरने पर निर्ममता से घिसटते हुए मशीन के पास लाया जाता है | पीट -पीट  कर  खड़ा किया जाता है | मशीन की एक पुलि पशु को पीछे से जकड लेती है | उसके बाद 200डिग्री सेल्सियस का गर्म पानी लगातार 5 मिनट  तक चलाया जाता है | इसे hot water treatment कहते है ,इसका उद्देश्य यह है की खून का हीमोग्लोबिन पिघलकर मांस  में मिल जाये और उसे लाल कर दे , क्योकि लाल मांस  की कीमत अधिक होती है जो की अमेरिका के सफेद मांस  से अधिकहोती है | दुबई में अमीरकण मांस  14 रियाल यानि 120 रुपए किलो है | भारतीय मांस 30 -32  रियाल यानि 240 रुपए किलो है | 


*उसके बाद मशीन पशु को पीछे से उठाती है और  लटका दिया जाता है फिर उसकी आधी गर्दन काट दी जाती है ताकि खून बाहर  आ जाये और पशु मरे नहीं , उसमे अंदर हवा भी देते है क्योंकी पशु के मरने पर चमड़ा  सख्त हो जाता इसलिए जिन्दा रखकर  उसका पतला चमड़ा  उतर लिया जाता है , चमडा उतरने के बाद उसके धड़ ,गर्दन , हाथ , पैर , इत्यादि को अंग भंग कर  देते  है तत्काल मांस  के डिब्बे बनकर बहार आने लगते जिन्हे शीतकालिक डिब्बों में भर कर विदेश भेज दिया जाता है | 
*10000 लीटर खून प्रतिदिनं एकत्रित होता है जिससे प्लाज्मा।,प्रोटीन ,हीमोग्लोबिन के टॉनिक बनाये जाते है | खासतोर पर गर्भवती महिलाओ को दिया जाने वाला डेक्सोरेंज  | 
* एक गाय  पर लगभग 4000 रुपए का लाभ चमडा , हड्डी,मांस ,खून ,चर्बी इत्यादि की बिक्री से होता है| 





                                                                                                                    @blogger- vikash sharma 

Tuesday, 24 April 2018

                               कृषि एक ऐसा व्यवसाय जिसमे निश्चितता नहीं है



भारत विविधताओं से भरा देश है ,जिसमे विभिन्न प्रकार के लोग निवास करते है | यहाँ  की कृषि में निश्चितता नहीं है | किसान  का ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहा नहीं जा सकता  है | जब तक फ़सल कटकर घर नहीं आ जाती है तब तक आशंका की तलवार उसके सर पर कच्चे धागे से लटकी रहती है | कहा नहीं जा सकता किस समय वह टूट कर  गिर पड़े |

  ⇝  अतिवृष्टि , अनावृष्टि ,पाला तुषार जरा से धक्के से उसके स्वप्नों का शीशमहल,परिवार व्यवस्था  का आधार देश की समृद्धि का महल टूट सकता है | 


⇝भारतवर्ष में वर्ष भर में केवल साढ़े ३ महीने की वर्षा होती है, इसकी मात्रा तथा समय बिलकुल अनिश्चित होता है | जब फसल को पानी चाहिए तब पानी नहीं गिरता और जब जरुरत न हो तो मूसलाधार बारिश हो जाती है गौरतलब है की भारत की लगभग 80 % कृषि आज भी वर्षा पर निर्भर रहती है | इसी तरह पाला , तुषार , का भी कोई ठिकाना नहीं है | 


आवयशकता ➼

 ⧫कृषि की ऐसी अनिश्चितता की स्थिति में ऐसा कोई पूरक  व्यवसाय होना आवयशक है जब कभी प्रकृति का उस पर प्रकोप हो तो वो उसके जीवन निर्वाह  का सहारा बन सके | 

कृषि पूर्णकालिक व्यवसाय नहीं है ↭







                                                                                                               @blogger:- vikash sharma


                                                                                                         your suggestion is valuable for us

                                                                                                                comment in my inbox

Saturday, 21 April 2018

                    you make your life easy with your thinking

aaj -kal sabhi log ne jane kis depression se gujar rhe he ,jise dekho vahi udas he chahe reason koi bhi ho. kisi ko job ki tension ,kisi ko exam clearance ki tension or ne jane  kitni tension he , esa nahi he ki ye tnav ya depression phle nahi tha ye phle bhi tha lekin log ise kam kr lete the naturaly process se lekin aaj uska ulta hota he insan ke tnav me aa jane pr ya to medicine leta he, ya social media ka shahra leta he . jbki research btatai he ki phone se nikalne vali radiation hme sabse jyada effect krta he jiska sidha asar hmare brain pr padta he , kabhi kabhi whatsapp pr aaye messege bhi hmara mood khrab kr dete he , darassal ye sab cheeje bnayi thi hmare mnoranjann ke liye ,fb bnayi thi ki hm logo se bat krke apna dil bhla sake , lekin ho kya rha hai vo sab aap logo ke samne he , aaaj ydi aap apnn fb pr wall open kroge to paaoge ki uspr 90% sirf politics or vo bhi gandi or chichori , shyad ab jyadatar logo ka man fb chalane ko n kre in chejo se aahat  hokr ........ 
hme jitna ho sake in sab se ddoor rhna chaiye , jisse kii hm apne family ko time de sake unse pyar se baten kr sake un dooriyo ko mita saake jo is digital era me bad gyi he .... phle ydi khi 5 log ek sath baithe ho to unme kisi topic ko lekar charcha honi shuru ho jati thi jiske achhe prinam aate the lekin aaj ek parivar ke 5 log ek sath aaps me baithkar baten tak bhi nahi krte he qukii social media ne unke beech me bahut dooriya bdha di he ..... jisse ve apne aap ko akela mehsus krte he .. social media hme bahar se to khush rakh sakta he lekin internly jo happiness me apne privar se milti he vo orr khi nahi milegi... 

me apne dosto se yhi khna chahunga ki apne social media vale samay me se kuch samay apni family , apne bachho oor apne dosto ko de , qukki  bura samaay aane pr sabse phle aapki vo virtual goodwill  kam aayegi n ki fb/whatsapp/ insta/twitter pr bnaye gye aap ke dost !

so be happy my all friends if you like this article please share & gave some time to you parents ,your friends , spend some time with childrens , think positive , think good ,because your think made you , its an big secret of life (think big - achieve big)
"विचार बनाएं  जिंदगी"
     
                                                                              © blogger - vikas sharma
                                                                    ⧪ एक सोच ⧪
दोस्तों काफी दिन हो गए मुझे सोशल मीडिया को चलाते -चलाते , लेकिन जिस तरिके से आज कल ज्यादातर लोगो की फेसबुक वॉल पर देख रहा हूँ कि किस कदर लोग अपने ही लोगो के दुश्मन बन चुके हैं  l 
                                              जब बचपन में था तो एक चीज सुनता था की मुस्लिमो ने हमारे व् हमारी महिलाओ के साथ अंन्याय किया ,लेकिन जहाँ तक मुझे लगता हैं , कि  में मानता  हूँ  अंन्याय हुआ हैं लेकिन जैसे बड़े -बूढ़े  कहते हे की पांचों उंगलिया एक जैसी नहीं होती उसी तरह सभी मुस्लिम लोग एक जैसे नहीं होते ,रही बात अंन्याय  और अत्याचार की तो वो हर धर्म में, हर जाती में अलग अलग मानसिकता के लोग रहते है l 
                                              लेकिन आज बहुत ही गलत हो रहा हे और भविष्य में इसके भयंकर परिणाम आने वाले हैं l  मानो  या न मानो  ये कही न कही लोगो व् जाती को जाती से , एक संप्रदाय को दूसरे संप्रदाय से भिड़ाने की बहुत गहरी साजिश हे जिसके निशाने पर मुखयतः युवा पीढ़ी हैं  ; ये वो युवा पीढ़ी हे जिसके कंधे पर इस देश का भार है| 
                      ये इस देश को तोड़ने की गहरी साजिश है , जैसा की इतिहास  में विदित रहा है कि  जब-जब भारतवर्ष में लोग आपस में लड़े है वहाँ  पर बाहरी शक्तिओ का शाशन हुआ है | यदि हम यू ही लड़ते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे दुश्मन देश हमे अपना गुलाम बना लेंगे तथा हमारे संसाधनों पर उनका राज होगा और वही लोग जो इन लोगो के बहकावे में आकर अपने राष्ट्र के खिलाफ उल्टा उल्टा सीधा बोलते है वो गुलाम बनकर जंजीरो में जकड़े नजर आयेंगे और उनके साथ लाखो बेकसूरों को भी यातनाएँ  झेलनी पड़ेंगी | 
    
मेरा युवा पीढ़ी से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी प्रकार के बहकावे में न आये | 
अपने लक्ष्य राष्ट्र हित  में बनाएं ताकि हमारा देश फिर से विश्व गुरु बनें |